Tuesday, 19 July 2011

बगुले उड़े

बगुले उड़े
आकाश बेल छूने
उन्मुक्त होने ।



-रामनिवास पंथी
('वर्तमान की आँखें' हाइकु संग्रह से)

1 comment:

डॅा. व्योम said...

बहुत अच्छा हाइकु है।